निबंध लेखन
विद्यार्थी और अनुशासन
1. भूमिका :-
विद्यार्थी का जीवन समाज और देश के लिए बहुत उपयोगी होता है। विद्यार्थी समाज समाज और देश की रीढ़ की हड्डी होता है क्योकि वही कल का भविष्य है। और आगे चलकर देश और समाज को उन्हें ही चलाना है। समाज तथा देश की प्रगति उन्ही पर निर्भर करती है। अतः यह आवशयक है कि इनका जीवन पूर्णतः अनुशासित हो। वे जितने अनुशासित बनेगे उतने ही अच्छे समाज और देश का निर्माण करेंगे।
2. अनुशासन का अर्थ :-
विद्यार्थी जीवन में को अच्छा और सूंदर बनाने के लिए अनुशासन की विशेष महत्व है। जो लोग अनुशासन की महत्ता नहीं समझते वह मूर्खता करते है। जिस प्रकार हमारे मस्तिष्क द्वारा हमारा सारा शरीर संचालित होता है और हमारे सभी अंग काम करते है। यदि यह अंग कार्य करना बंद कर दे तो हमारा जीवन कठिन हो जायेगा। इसी प्रकार अनुशासिन जीवन के आभाव में हमारा जीवन गति हीन हो जायेगा।
3. शिक्षा :- 
अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है - अनु और शासन। अनु का अर्थ है पीछे और शासन का अर्थ आज्ञा। अतः अनुशासन का अर्थ है कि आज्ञा के पीछे -2 चलना। अतः हम जो भी कार्य अनुशासनबद्ध होकर करेंगे तो सफलता निश्चित ही प्राप्त होगी।4. आवश्कता :-
अनुशासन की शिक्षा स्कुल तक ही सिमित नहीं है। घर से लेकर स्कूल, खेल का मैदान और समाज के सभी कार्यो तक है। अनुशासन की शिक्षा ग्रहण की जा सकती है। विद्यार्थियों का यह कर्तव्य है कि वः पढ़ने के समय पढ़ना और खेलने के समय खेलना चाहिए। एकाग्रचित होकर पढ़ना, बड़ो का आदर करना, छोटो से स्नेह करना ये सभी गुण अनुशासित छात्र के है। एक अनुशासित विद्यार्थी ही अपने लक्ष्य प्राप्त करता है।5. प्रकार :-
अनुशासन के दो प्रकार है :1. आंतरिक ,2. बाह्य। दूसरे प्रकार का अनुशासन परिवार और स्कूलो में देखा जा सकता है यह भय पर आधारित होता है। जब तक विद्यार्थी में भय बना रहता है तब तक वह नियमो का पालन करता है और भय ख़तम हो जाने पर शरारती हो जाता है भय से प्राप्त अनुशासन से विद्यार्थी डरपोक हो जाता हैआंतरिक अनुशासन ही सच्चा अनुशासन है। जो कुछ सत्य है , उसे स्वेच्छा से मानना ही आंतरिक अनुशासन खा जाता है
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